SP संजीव गांधी पर विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही की मांग, विधायक सुधीर शर्मा ने विधानसभा अध्यक्ष को भेजा प्रस्ताव

शिमला, हिमाचल प्रदेश — शिमला के एसपी संजीव गांधी के खिलाफ भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने बड़ा कदम उठाते हुए विधानसभा अध्यक्ष को विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव भेजा है। सुधीर शर्मा ने एसपी संजीव गांधी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने एक जनप्रतिनिधि की गरिमा और विशेषाधिकार का उल्लंघन करते हुए सार्वजनिक मंच से अभद्र टिप्पणी और धमकी दी है। इस मामले में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से सख्त कार्रवाई की मांग की है।
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को भेजे गए लिखित प्रस्ताव में सुधीर शर्मा ने स्पष्ट किया है कि शिमला के पुलिस अधीक्षक ने उनके खिलाफ एक प्रेस वार्ता के दौरान आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया और मीडिया के समक्ष कुछ ऐसे कथित आरोप लगाए, जो न केवल असत्य हैं, बल्कि एक जन प्रतिनिधि की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं। उन्होंने कहा कि वह धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र से चुने हुए विधायक हैं और जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा इस प्रकार की टिप्पणी लोकतांत्रिक संस्थाओं के सम्मान पर सीधा हमला है।
सुधीर शर्मा ने यह भी कहा कि एसपी संजीव गांधी का यह आचरण न केवल उनके विधायी कार्यों में हस्तक्षेप है, बल्कि यह विधानसभा की पवित्रता और अधिकारों को कमजोर करने की भी कोशिश है। उन्होंने अपने पत्र के साथ उस प्रेस वार्ता की मीडिया कटिंग्स भी संलग्न की हैं, जिनमें कथित तौर पर उनके खिलाफ बयान दर्ज हैं।
मामले की पृष्ठभूमि में, शनिवार को एसपी संजीव गांधी ने शिमला में आयोजित एक प्रेस वार्ता में सुधीर शर्मा का नाम लेते हुए कथित आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि विधायक सुधीर शर्मा ने हाई कोर्ट की कार्यवाही से जुड़ी रिपोर्ट अपने फेसबुक अकाउंट पर साझा की, जो न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने जैसा है। एसपी ने इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात भी कही थी।
जवाब में, सुधीर शर्मा ने पहले ही क्रिमिनल केस दर्ज कराने का नोटिस एसपी को भेजा है। अब उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से अपील की है कि संजीव गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव को स्वीकार कर सदन के नियमों और प्रक्रियाओं के तहत उचित कार्रवाई की जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरे प्रकरण में एसपी संजीव गांधी का व्यवहार उनके पद की गरिमा के विपरीत है और इससे पुलिस और जनता के बीच विश्वास की खाई भी बढ़ सकती है। इसलिए जरूरी है कि इस मामले में उचित न्यायिक और विधायी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में किसी भी अधिकारी द्वारा जनप्रतिनिधियों की गरिमा को ठेस पहुंचाने की कोशिश न हो सके।
अब देखना यह होगा कि विधानसभा अध्यक्ष इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं और क्या एसपी के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाया जाता है। मामला विधानसभा और प्रशासन के बीच टकराव का रूप लेता दिख रहा है।