आपदा ने उजाड़ा सराज का नगीना कुथाह गांव, 5 परिवारों के घर, कई बगीचे, वाहन आपदा की भेंट चढ़े

तुंगाधार पंचायत के अंतर्गत बाखलीखड्ड के किनारे बसा कुथाह गांव में चूड़ामणि, रोशन लाल, खिंथू राम सहित पांच परिवारों के घर आपदा की भेंट चढ़ गए।
तुंगाधार पंचायत में 14 घर पूरी तरह ध्वस्त हो गए, 27 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा, जबकि 23 गोशालाएं मलबे में दफन हो गईं। कुथाह में चूड़ामणि, रोशन लाल, खिंथू राम सहित पांच परिवारों के घर आपदा की भेंट चढ़ गए। शिव राम, ईश्वर दास, लोहारी शर्मा, मुरारी लाल, कुंदन लाल, सुरेंद्र जैसे दर्जनभर लोगों के बगीचे बाखली खड्ड की बाढ़ में बह गए। सात वाहन भी बह गए। मझाखल मोड़ से ओड़ीधार तक की सड़क पूरी तरह गायब हो गई। कुथाह को ओड़ीधार से जोड़ने वाला लाल पुल भी बह गया, जिससे गांव का जंजैहली से संपर्क टूट गया। बिजली गुल होने से पूरा इलाका अंधेरे में डूब गया है। चारों ओर सन्नाटा और निराशा का माहौल है। आपदा ने कुथाह की खूबसूरती छीन ली, मगर ग्रामीणों का हौसला अब भी बरकरार है। प्रशासन से राहत और पुनर्वास की उम्मीद लिए ये लोग फिर से जिंदगी संवारने की जद्दोजहद में जुटे हैं।
शिवराम शर्मा की आठ बीघा जमीन, जो बाखलीखड्ड के बीच टापू की शक्ल में थी, अब चट्टानों का मरुस्थल बन चुकी है। टूटती आवाज में वह बताते हैं, खून-पसीने से इस जमीन को सींचा था। सेब, गोभी, मटर की फसलें लहलहाती थीं, लेकिन अब सब खत्म हो गया। उनकी आंखों में बेबसी है, मगर हार मानने को तैयार नहीं।
पड़ोसी गांव लस्सी में भी तबाही का मंजर कम नहीं। ईश्वर शर्मा और लोहारी शर्मा की पूरी जमीन भूस्खलन की भेंट चढ़ गई। दोनों के घरों को भी भारी नुकसान पहुंचा। 69 वर्षीय ईश्वर दास उस रात की भयावहता को याद कर सिहर उठते हैं, लेकिन भाई को ढांढस बंधाते हुए कहते हैं, रोने से क्या होगा। ये सिर्फ हमारा नहीं, पूरे सराज का नुकसान है।