हिमाचल प्रदेश में आफत की बारिश, पंडोह डैम के भी पांचों गेट खुले, जगह-जगह गिरा मलबा;

हिमाचल प्रदेश में मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने रविवार को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, सोलन व सिरमौर, जबकि सोमवार को सिरमौर, सोलन, शिमला और बिलासपुर के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
हिमाचल के सात जिलों में रविवार और सोमवार को भारी बारिश की चेतावनी दी है। लगातार हो रही बारिश से शिमला में चमियाना अस्पताल जाने वाली सड़क मलबा गिरने से बंद हो गई है। वहीं, भट्टाकुफर में भी गाड़ियों पर पत्थर गिरे हैं। इसके साथ ही संजौली वार्ड के बॉथवेल इलाके में भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन से एक मकान पर मलबा गिर गया है। इसके चलते इस घर में रह रहे मां बेटी अंदर फंस गए हैं। मेयर पार्षद समेत प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई है
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने रविवार को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, सोलन व सिरमौर, जबकि सोमवार को सिरमौर, सोलन, शिमला और बिलासपुर के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। एक से 4 जुलाई तक बारिश का येलो अलर्ट रहेगा। सोलन, कांगड़ा, मंडी व सिरमौर जिलों के कुछ क्षेत्रों में बाढ़ की भी आशंका जताई गई है।
शनिवार को भी राजधानी शिमला समेत प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में झमाझम बारिश हुई है। मंडी, हमीरपुर और ऊना में भी बादल बरसे हैं। बारिश और भूस्खलन के चलते प्रदेश में अभी भी 38 सड़कें बंद हैं। मानसून के हिमाचल में दस्तक देने के बाद अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी हुई है। सैंज बैराज, पार्वती-3 और पार्वती-2 बिजली परियोजनाओं में सिल्ट बढ़ने से उत्पादन बंद हो गया है। लोक निर्माण विभाग और जल शक्ति विभाग को करीब 70 करोड़ का नुकसान हो चुका है। इसके अलावा मानसून सीजन में 20 से 28 जून के बीच सड़क हादसों में भी 17 लोगों की मौत हुई है व 74 घायल हुए हैं।
कालका-शिमला नेशनल हाईवे पांच पर चक्कीमोड़ में फिर पहाड़ से मलबा आने से डेढ़ घंटा वाहनों की आवाजाही बंद रही। इस कारण सड़क के दोनों ओर लंबा जाम लग गया। जाम लगने के बाद लोग सड़क खुलने का इंतजार करते रहे। जेसीबी पहुंचने के बाद सड़क की एक लेने से मलबा हटाकर सुचारु किया। बताया जा रहा है कि करीब सुबह 6:45 पर चक्कीमोड़ में पहाड़ी से अचानक बारिश के साथ मलबा आ गया। इसके बाद आवाजाही पूर्ण रूप से रुक गई। सड़क पर हालात काफी खराब है। पहली बारिश में भारी मात्रा में मलबा जाने से राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। वहीं अन्य जगहों पर भी पहाड़ी से पत्थरों के गिरने का सिलसिला जारी है। जेसीबी आने के बाद करीब 8:10 पर सड़क की एक लेन चलाई गई है।
मंडी जिले में लगातार हो रही बारिश से 70 से अधिक सड़क मार्ग बंद हो गए हैं। ट्रांसफार्मर ठप हो जाने से जिले के अलग-अलग हिस्सों में बिजली बाधित हो गई है। इससे पेयजल आपूर्ति पर भी असर पड़ा है। धर्मपुर के पारछु में एक बार फिर कृत्रिम झील बन गई है इससे धर्मपुर क्षेत्र तक खतरा पैदा हो गया है।
विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलवे ट्रैक पर कोटी के समीप भारी मलबा आ जाने से बंद हो गया है। इस कारण सुबह आने वाली पहली ट्रेन कोठी रेलवे स्टेशन पर ही फंसी हुई है, जबकि अन्य ट्रेनें गुम्मन और कालका में ही रोक दी गई है। कोटी ही नहीं शिमला तक विभिन्न स्टेशन पर पत्थर, पेड़ व मलबा गिरा है। अभी रेलवे मार्ग खुला नहीं है। बताया जा रहा है कि रेलवे मार्ग खुलने के बाद ट्रेनों को शिमला की ओर भेजा जाएगा।
बीती रात हुई मूसलधार बारिश के बाद ज्यूनी खड्ड और ब्यास नदी का जलस्तर अचानक तेजी से बढ़ गया। जलप्रलय जैसे हालातों से सहमे पंडोह के स्थानीय लोग एक बार फिर डरे हुए हैं। लारजी डैम में प्री-मानसून फ्लशिंग के चलते बीबीएमबी पंडोह डैम ने आज सुबह अपने पांचों स्पिलवे गेट खोल दिए, जिससे ब्यास नदी में पानी का बहाव तेज हो गया है। बीबीएमबी के अधिशाषी अभियंता ने जानकारी देते हुए बताया कि ब्यास नदी में लगभग 44,000 क्यूसेक पानी का बहाव आ रहा है,जिसे पंडोह डेम के जरिए बराबर मात्रा में आगे छोड़ा जा रहा है,सिल्ट स्तर बढ़कर 4000 PPM तक पहुंच गया है, बग्गी सुरंग को फिलहाल बंद कर दिया गया है, जिससे डैहर पॉवर हाउस में विद्युत उत्पादन अस्थायी रूप से रोक दिया गया है।
ज्यूनी खड्ड का उग्र रूप और ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ना गंभीर स्थिति की ओर इशारा कर रहा है। स्थानीय प्रशासन व बीबीएमबी ने लोगों से नदी किनारे न जाने की अपील की है और सतर्क रहने को कहाहालांकि स्थिति इस समय नियंत्रण में बताई जा रही है, लेकिन जलस्तर और मौसम को देखते हुए पूरी निगरानी रखी जा रही है। बीबीएमबी और प्रशासन की टीमें अलर्ट मोड पर हैं।
जिला मंडी में हो रही भारी बारिश के चलते पंडोह से कुकलाह को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग नदी के तेज बहाव में आकर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। शुक्रवार रात से हो रही लगातार बारिश के कारण एक नाले का जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिससे सड़क का बड़ा हिस्सा बह गया। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह मार्ग ग्रामीणों के लिए आवागमन का एकमात्र साधन था। अब रास्ता टूट जाने से दर्जनों गांवों का संपर्क मुख्य मार्ग से कट गया है। स्कूली बच्चों, मरीजों और कामकाजी लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने मांग की है कि इस मार्ग की शीघ्र मरम्मत करवाई जाए और भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए ठोस योजना बनाई जाए। लगातार हो रही बारिश को देखते हुए जिला प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने और नदी-नालों के पास न जाने की अपील की है।
जिला कुल्लू में मौसम का मिजाज एक बार फिर बिगड़ गया है। शनिवार रात को कुल्लू में बारिश हुई है। जबकि रविवार सुबह भी हल्की बारिश का सिलसिला जारी है। ब्यास, पार्वती नदी का जलस्तर काफी बढ़ा हुआ है। प्रशासन की ओर से पर्यटकों व आम लोगों से नदी किनारे न जाने की अपील की गई है। वहीं लारजी, एनएचपीसी के पुलगा डैम से पानी छोड़ा गया है।