हिमाचल में समय से पहले पक गई लीची… आकार भी घट गया; बदलते मौसम का फसलों पर पड़ रहा असर

बदलते मौसम चक्र का असर अब फलों और फसलों पर भी पड़ने लगा है। इस बार समय से पहले भी लीची की फसल तैयार हो गई है। इसे देख हर कोई हैरान है। जून के हफ्ते में ही लीची की फसल तैयार हो गई है।
हालांकि उद्यान विभाग का कहना है कि लीची की फसल जून के पहले हफ्ते से बाजार में आना शुरू हो जाती है। मगर किसानों की मानें तो लीची जून के अंत तक तैयार होती थी, जो इस बार पहले ही पक गई है। इतना ही नहीं इस बार लीची का आकार भी बदलते मौसम के कारण घट गया है। लीची का आकार सही से तैयार नहीं हो पाया है। कांगड़ा जिले में करीब 3416 हेक्टेयर भूमि पर लीची की फसल होती है। हर साल औसतन 4875 मीट्रिक टन का उत्पादन केवल कांगड़ा जिले में ही होता है।
बता दें कि पहाड़ में अकसर फरवरी से मार्च में खिलने वाला बुरांस का फूल इस बार जनवरी में ही खिल गया था। लोग इसे मौसम चक्र में परिवर्तन को ही वजह मानते हैं। जलवायु परिवर्तन का असर अब धीरे-धीरे हर चीज पर पड़ने लगा है।
धर्मशाला के साथ लगती पासू पंतेहड़ पंचायत के बागवान बृज मोहन ने बताया कि हर साल उनके बगीचे में जून के अंत में लीची पकती थी। इस बार बढ़ती गर्मी के कारण लीची समय से पहले ही तैयार हो गई है। इसके अलावा लीची का आकार भी कम रह गया है।
बदलते मौसम का असर देखने को मिल रहा है। इसी साल जनवरी में ही बुरांस के फूल भी खिल गए। लीची तो अमूमन जून में बाजार में आना शुरू हो जाती है। इसके अलावा आकार क्यों कम है इसका पता लगाया जाएगा।