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हिमाचल में आपदा पर मेगा मॉक ड्रिल, 8.0 की तीव्रता वाले भूकंप की स्थिति का अभ्यास

हिमाचल प्रदेश में शुक्रवार को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) की ओर से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के तकनीकी सहयोग से मेगा मॉक ड्रिल आयोजित की गई। हर जिले में इस माॅक ड्रिल का आयोजन किया गया।  हमीरपुर उपायुक्त एवं जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के अध्यक्ष अमरजीत सिंह के नेतृत्व में जिले में 10 स्थानों पर मॉकड्रिल का आयोजन किया गया। डीडीएमए के अध्यक्ष अमरजीत सिंह ने कंट्रोल रूम से निगरानी की।  एडीसी अभिषेक गर्ग सभी टीमों को निर्देश दिए।  जिले में रिक्टर पैमाने पर 8.0 की तीव्रता वाले भूकंप के परिदृश्य का अलर्ट जारी किया गया। इस भूकंप के कारण जिला के दस स्थानों पर होने वाले नुकसान की सूचना जिला इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर (डीईओसी) को प्राप्त हुई। इसके तुरंत बाद जिले में आईआरएस सक्रिय हुई। सबसे पहले नुकसान वाले स्थानों पर स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया देखी गई।

उसके बाद बचाव दलों को घटनास्थलों के लिए रवाना किया जाएगा। उपायुक्त ने बताया कि बस स्टैंड हमीरपुर और डॉ. राधाकृष्णन राजकीय मेडिकल काॅलेज अस्पताल हमीरपुर के भवनों के क्षतिग्रस्त होने तथा इनमें फंसे लोगों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए गया है। धर्मशाला में आपदा प्रबंधन पर मेगा मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। माॅकड्रिल में भूकंप से डीआरडीए भवन से घायलों को टीमों को ओर से रेस्क्यू किया गया। इसके बाद सभी घायलों को राहत कैंप में लाया गया, जहां से गंभीर घायलों को धर्मशाला अस्पताल शिफ्ट किया गया।

ब्यास नदी के किनारे फंसे पर्यटकों को किया रेस्क्यू
 जिला कुल्लू में जिला स्तरीय मॉक ड्रिल के दौरान भूतनाथ के समीप ब्यास नदी  के किनारे फंसे पर्यटकों रेस्क्यू किया गया। टीम ने सैलानियों को राफ्टिंग की सहायता से रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया। इसके बाद मरीज को उपचार के लिए क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू भेजा गया। आईजीएमसी शिमला में भी भूकंप के बीच बचाव को लेकर मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया।

पोर्टमोर स्कूल में भूकंप और विकासनगर में अग्निकांड की स्थिति का अभ्यास 
शिमला शहर में शुक्रवार को  बड़े स्तर पर मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया, जिसमें दो अलग-अलग आपदा परिदृश्यों का अभ्यास किया गया। पोर्टमोर स्कूल को भूकंप प्रभावित क्षेत्र और विकासनगर को अग्निकांड से जूझता इलाका मानते हुए आपातकालीन तैयारियों का परीक्षण किया गया। पोर्टमोर स्कूल में भूकंप की स्थिति दर्शाते हुए छात्रों और स्टाफ को सुरक्षित बाहर निकाला गया। राहत व बचाव टीमों ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया और घायल छात्रों को प्राथमिक उपचार दिया गया। वहीं, विकासनगर को आग की चपेट में आया क्षेत्र मानते हुए फायर ब्रिगेड, स्वास्थ्य सेवाएं और पुलिस ने तालमेल के साथ अग्निशमन अभियान चलाया। इस दौरान कई घायलों को मौके से सुरक्षित निकाला गया और प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल भेजा गया। मरीजों को स्ट्रेचर और एंबुलेंस की सहायता से निकाला गया, जिससे आपदा स्थिति में मेडिकल टीम की तत्परता का परीक्षण हुआ। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) की नई ओपीडी की मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अमन मड़ैक ने बताया कि अस्पताल हर आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा कि अस्पताल की टीम प्रशिक्षित है और इस तरह के अभ्यासों से उनकी क्षमता और अनुभव में और इजाफा होता है। डॉ. अमन मड़ैक ने यह भी स्पष्ट किया कि आईजीएमसी में 100 बेड उपलब्ध हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर इस क्षमता तो कई गुना बढ़ाया जा सकता है । आवश्यक संसाधन, दवाइयां, डॉक्टर और तकनीकी स्टाफ हर समय तैयार रहते हैं, ताकि किसी भी आपदा या दुर्घटना की स्थिति में त्वरित चिकित्सा सहायता उपलब्ध करवाई जा सके।

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