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हेमकुंड साहिब यात्रा 25 मई से शुरू, बर्फीली वादियों में बसे इस पवित्र तीर्थस्थल का अद्भुत नजारा

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चमोली (उत्तराखंड) — उत्तराखंड के धार्मिक और ट्रैकिंग स्थलों में विशेष स्थान रखने वाली हेमकुंड साहिब यात्रा इस वर्ष 25 मई से शुरू होकर 10 अक्टूबर तक चलेगी। समुद्र तल से 4329 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह पवित्र स्थल न केवल सिख श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि ट्रेकिंग प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी अत्यंत आकर्षक स्थल है।

गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब को सप्तश्रृंग भी कहा जाता है, क्योंकि यह सात बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है। यहां स्थित पवित्र झील में श्रद्धालु स्नान करते हैं, जिसे हेमकुंड झील कहा जाता है। यह झील हिंदुओं और सिखों दोनों के लिए पवित्र मानी जाती है। हेमकुंड झील का पानी हाथी पर्वत और सप्तऋषि पर्वत से आता है। यहां से निकलने वाली जलधारा को हिमगंगा कहा जाता है।

इस पवित्र स्थल की खोज 1930 में हवलदार सोहन सिंह ने की थी और 1970 के दशक में इसका निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। मान्यता है कि इस स्थल पर सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने तपस्या की थी। इसके अलावा, यहां लक्ष्मण मंदिर भी स्थित है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण भगवान राम के अनुज लक्ष्मण ने करवाया था।

हेमकुंड साहिब के कपाट हर वर्ष केवल तीन से चार महीने के लिए ही श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं, क्योंकि बाकी समय यहां बर्फ जमी रहती है। यात्रियों को यहां पहुंचने के लिए गोबिंदघाट से गोबिंदधाम होते हुए लगभग 19 किमी की कठिन पैदल यात्रा करनी पड़ती है। गोबिंदधाम, हेमकुंड साहिब यात्रा का अंतिम पड़ाव होता है, जहां से 6-7 किमी की चढ़ाई और करनी होती है।

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यात्रा मार्ग के दर्शनीय स्थल:

वैली ऑफ फ्लावर्स (फूलों की घाटी):
हेमकुंड साहिब यात्रा के मार्ग में स्थित यह घाटी दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। समुद्र तल से 3352 से 3658 मीटर की ऊंचाई पर फैली इस घाटी में यात्रा के दौरान हजारों किस्म के फूल खिलते हैं। यहां का दृश्य इतना मोहक होता है कि पर्यटक अपनी निगाहें हटा नहीं पाते।

गोबिंदघाट गुरुद्वारा:
हेमकुंड साहिब जाने वाले श्रद्धालु गोबिंदघाट गुरुद्वारे में रुकते हैं। यहां लंगर और आवास की सुविधा मौजूद है। यह स्थान श्रद्धालुओं को मानसिक और शारीरिक रूप से कठिन यात्रा के लिए तैयार करता है।

यात्रा पर जाने वाले सभी श्रद्धालुओं को ऑनलाइन या ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। यात्रा मार्ग में चिकित्सा, लंगर, आवास और सुरक्षा की व्यवस्था सरकार व स्थानीय गुरुद्वारा समितियों द्वारा की जाती है।

हेमकुंड साहिब की यात्रा श्रद्धा, प्रकृति और साहस का अद्भुत संगम है, जो हर वर्ष हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपने ओर खींचती है।

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