Nautapa 2025: नौतपा में करें सूर्य देव की विशेष पूजा, मिलेगा शुभ फल और कष्टों से राहत

नौतपा (Nautapa 2025) का समय हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है। यह कालखण्ड गर्मी के चरम पर होने के साथ-साथ भगवान सूर्य की उपासना और तपस्या के लिए विशेष माना गया है। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार जब सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तो पृथ्वी पर अग्नि तत्व की प्रधानता बढ़ जाती है, जिससे तापमान में तीव्र वृद्धि होती है। इस नौ दिवसीय काल को ही ‘नौतपा’ कहा जाता है।
सूर्य उपासना का महत्व
ऐसी मान्यता है कि नौतपा के नौ दिन यदि भक्त श्रद्धा और नियम के साथ सूर्य देव की पूजा करें, तो उन्हें न केवल गर्मी के दुष्प्रभावों से राहत मिलती है, बल्कि जीवन में आने वाली अनेक कठिनाइयों और रोगों से भी मुक्ति मिलती है। इन दिनों प्रातःकाल स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य देने, सूर्य मंत्रों का जप करने और सूर्य चालीसा का पाठ करने से विशेष लाभ होता है।
सूर्य को अर्घ्य देना क्यों है महत्वपूर्ण?
सूर्य देव को जल चढ़ाना या अर्घ्य देना शरीर, मन और आत्मा को ऊर्जा प्रदान करता है। यह आंखों की रोशनी को तेज करता है, त्वचा रोगों से राहत देता है और मानसिक तनाव को दूर करता है। खासतौर पर नौतपा के दिनों में रोज़ाना सूर्य को जल चढ़ाकर उनके 12 नामों का जाप करने से भाग्य भी तेज होता है।

नौतपा में दान का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नौतपा में जल, छाता, शीतल पेय, सादा वस्त्र और फलों का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस समय गरीबों, जरूरतमंदों को ठंडक देने वाली चीजें देना बेहद फलदायी माना गया है। यह दान सूर्यदेव को प्रसन्न करता है और जीवन में सुख-शांति व समृद्धि लाता है।
सूर्य चालीसा का पाठ करें
नौतपा के दिनों में ‘सूर्य चालीसा’ का पाठ करना विशेष फलदायी होता है। इसमें भगवान सूर्य के विभिन्न स्वरूपों — जैसे भानु, आदित्य, दिवाकर, मार्तण्ड, विवस्वान आदि — का सुंदर वर्णन है। यह चालीसा न केवल भक्ति भाव से ओतप्रोत है, बल्कि इसमें सूर्यदेव से आरोग्य, ऐश्वर्य और रक्षार्थ प्रार्थनाएं भी शामिल हैं। चालीसा के अनुसार जो व्यक्ति श्रद्धा और नियम से इसका पाठ करता है, उसे हजारों जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और चारों पुरुषार्थ — धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष — की प्राप्ति होती है।
नौतपा: तप और संयम का पर्व
नौतपा को केवल तेज गर्मी का समय नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, संयम और तप का पर्व माना जाता है। यह वह समय है जब व्यक्ति सूर्य देव की कृपा से अपनी आंतरिक शक्ति को जाग्रत कर सकता है। इससे आत्मबल बढ़ता है और जीवन की नकारात्मकता दूर होती है।
निष्कर्ष
नौतपा 2025 का समय आध्यात्मिक रूप से अत्यंत शुभ है। इन नौ दिनों में अगर नियमपूर्वक सूर्य की उपासना, सूर्य चालीसा का पाठ और पुण्य कार्य किए जाएं, तो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आने निश्चित हैं। सूर्य देव की कृपा से जीवन में नया प्रकाश और ऊर्जा का संचार होता है।