हिमाचल हाईकोर्ट ने कहा- ट्रांसफर के लिए पुरानी पोस्टिंग को जोड़ना पूरी तरह वैध, जानें मामला

हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की ट्रांसफर के लिए पुरानी पोस्टिंग जोड़ने को पूरी तरह वैध करार दिया है। खंडपीठ ने कहा कि कर्मचारियों के स्थानांतरण के मकसद से उनकी पिछली तैनाती की अवधि को जोड़ना कानूनी और न्यायसंगत है।
न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने अनुराग चड्डा बनाम हिमाचल प्रदेश मामले में एकल जज के निर्णय को निरस्त करते हुए यह महत्वपूर्ण फैसला पारित किया है। खंडपीठ ने 27 अक्तूबर 2023 के कार्यालय ज्ञापन को पूरी तरह कानूनी और वैध बताया है। अदालत ने कहा कि उक्त कार्यालय ज्ञापन सरकार की 10 जुलाई 2013 की ट्रांसफर पॉलिसी के खंड 10 और सांविधिक नियम (एसआर) (2)18 के विपरीत नहीं है। यह फैसला अब शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के स्थानांतरण के संबंध में पिछली सेवा अवधि को जोड़ने के मुद्दे पर अंतिम और बाध्यकारी होगा।
याचिकाकर्ता मोनिका कटणा एक टीजीटी अध्यापक हैं। मोनिका को कांगड़ा से चंबा स्थानांतरित किया गया। 22 मार्च 2024 को जारी ट्रांसफर आदेश को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने उनका ट्रांसफर पिछले कार्यकाल को जोड़कर किया, जो उन्होंने आसपास के क्षेत्र में बिताया था। उनकी दलील थी कि प्रतिवादी उनकी पिछली सेवा अवधि को जोड़ नहीं सकते, क्योंकि यह अनुराग चड्डा के मामले में दिए गए फैसले के खिलाफ है।
यह था एकल जज का फैसला
न्यायाधीश रंजन शर्मा ने अनुराग चड्डा बनाम हिमाचल मामले में कहा था कि शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के ट्रांसफर के लिए उनकी पिछली पोस्टिंग की अवधि को जोड़ना सरकार की 10 जुलाई 2013 की ट्रांसफर नीति के खंड 10 और सांविधिक नियम (एसआर)(2)18 के खिलाफ है। अदालत ने कहा था कि ट्रांसफर आदेश न्यायिक जांच के परीक्षण पर खरा नहीं उतरता है और इसे रद्द कर दिया गया था।