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हिमाचल; चंद सेकंड में जमींदोज हो गया 5 मंजिला मकान, ब्यास नदी के तेज बहाव में फंसी तीन महिलाएं

हिमाचल प्रदेश में मौसम विभाग द्वारा जारी रेड अलर्ट के बीच शनिवार रात से रविवार तक बारिश से तीन नेशनल हाईवे और 129 से अधिक सड़कें बाधित रहीं।

हिमाचल में सोमवार 30 जून को चार जिलों कांगड़ा, सोलन, सिरमौर और मंडी में रेड और अन्य क्षेत्रों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। वहीं, रामपुर उपमंडल के अंतर्गत सरपारा पंचायत में रात करीब दो बजे अचानक बादल फटने से सिकासेरी गटूला जगह पर काफी नुकसान हुआ है। बादल फटने से राजेंद्र कुमार पुत्र पलस राम का दो कुटार, एक कमरा, एक किचन सहित अन्य सारा सामान मलबा आने से क्षतिग्रस्त हो गया है। वहीं, विनोद कुमार का एक खूड एक गाय और गोपाल सिंह का एक खूड और गाय बह गई है। बादल फटने की सूचना मिलते ही प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई है और नुकसान का आंकलन करने में जुटी है। प्रशासन की ओर से तहसीलदाल रामपुर ने बताया बादल फटने की सूचना मिलते ही राजस्व टीम को मौके पर भेज दिया है। नुकसान आंकलन करके रिपोट तैयार करने के बाद उच्च अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा।

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से जारी रेड अलर्ट को देखते हुए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इन चारों जिलों के उपायुक्तों को सोमवार को स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद रखने के निर्देश जारी किए हैं। वहीं, खराब मौसम को देखते हुए मनाली और बंजार उपमंडल में भी आज स्कूल व अन्य शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे। इस बारे में अधिसूचना जारी की है। वहीं, सिरमौर और कांगड़ा में सभी शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे। बता दें कि 5 जुलाई तक प्रदेश में यलो अलर्ट जारी किया गया है।

रेड अलर्ट के बीच शनिवार रात से रविवार तक बारिश से तीन नेशनल हाईवे और 129 से अधिक सड़कें बाधित रहीं। वहीं,  मानसून के बाद से राज्य में अब तक 39 की मौत हो चुकी है। रविवार को कांगड़ा, शिमला और कुल्लू एयरपोर्ट से सभी उड़ानें रद्द रहीं। प्रदेश में 612 से अधिक ट्रांसफार्मर बंद हो गए और 6 पेयजल योजनाएं हांफ गईं। उधर, पहाड़ी से मलबा और पत्थर गिरने से कालका-शिमला हेरिटेज रेलवे ट्रैक बाधित रहा। इससे अप व डाउन की चार ट्रेनों को रद्द करना पड़ा, छह की आवाजाही हुई। सिरमौर के चिलोन के पास पांच घंटे पांवटा-शिलाई एनएच बंद रहा। नाहन-कुमारहट्टी के अलावा कालका-शिमला नेशनल हाईवे चक्कीमोड़ में पहाड़ियों से पत्थर गिरने से प्रभावित रहा।

शिमला में जगह-जगह भूस्खलन से पांच गाड़ियां मलबे में दब गईं। संजौली में मकान में मलबा घुसने से मां-बेटी घंटों घर के अंदर कैद रहीं। सिरमौर के मोगीनंद में मलबा घुसने से दो उद्योग का कच्चा माल बर्बाद हो गया। चंबा में नैणीखड्ड के समीप दो घंटे  हाईवे ठप रहा। बीबीएन में पिंजौर-नालागढ़ नेशनल हाईवे पर किरतपुर के पास निर्माणाधीन फ्लाईओवर के नीचे खड्ड पर अस्थायी पुलिया बह गई। इससे पिंजौर-बद्दी के बीच आवाजाही ठप रही। बरोटीवाला-बग्गूवाला सड़क भी खड्ड पर बनी पुलिया भी तेज पानी के बहाव में बह गई। 

शिमला शहर के भट्टाकुफर इलाके में सोमवार सुबह 5 मंजिला मकान जमींदोज हो गया। पार्षद नरेंद्र ठाकुर के अनुसार फोरलेन निर्माण के चलते इस मकान को खतरा पैदा हो गया था। यह क्षेत्र चमियाना पंचायत के अधीन आता है। देर रात इस मकान को खाली करवा दिया गया था। यह मकान एक सेवानिवृत सहायक अभियंता का बताया जा रहा है जिनकी कुछ समय पहले मृत्यु हो चुकी है। अब इसमें उनकी पत्नी और परिवार रहता था। रविवार देर रात इन्हें घर से बाहर सुरक्षित बाहर निकाल दिया गया था। सोमवार सुबह यह मकान धमाके के साथ ढह गया। मौके पर एक अन्य मकान में भी दरारें आ गई हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि फोरलेन निर्माण के लिए की गई गलत खोदाई के चलते इस क्षेत्र में कई मकानों के ढहने का खतरा पैदा हो गया है। फिलहाल जिला प्रशासन, पुलिस फोरलेन की टीमें मौके पर पहुंच गई है।

शिमला ग्रामीण के उपमंडल मजिस्ट्रेट मंजीत शर्मा ने कहा कि सुबह करीब 8 बजे  रंजना की पांच मंजिला मकान ढह गया। मकान को कल रात ही खाली करा लिया गया था। इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई है। इसके बगल में तीन-चार और इमारतें हैं, जो खतरे में दिख रही हैं। आस-पास के कुल पांच घरों को खाली करा लिया गया है। बताया जा रहा है कि निर्माण कार्य के कारण यहां की जमीन ढीली हो गई है। राहत कार्य चल रहे हैं। हमने ढही इमारत के मालिक को तत्काल राहत के तौर पर 50,000 रुपये दिए हैं।

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने मौसम विभाग के रेड अलर्ट और रात की हुई भारी बारिश से बने हालत को देखते हुए 30 जून की सभी परीक्षाएं रद्द कर दी हैं। आगामी आदेशों के लिए परीक्षा नियंत्रक ने नियमित रूप से विवि की वेबसाइट पर नजर रखने को कहा है।

राजधानी शिमला में कई भवनों पर भूस्खलन से ढहने का खतरा मंडरा गया है। न्यू शिमला में बिजली बोर्ड के दफ्तर में दरारें पड़ गई हैं। कृष्णा नगर में भी एक भवन को खतरा है। कई अन्य वार्ड में भी भूस्खलन के कारण मकानों पर संकट मंडरा गया है।

मानसून की पहली भारी बारिश से राजधानी में भारी तबाही हुई है। शहर के कई इलाकों में भूस्खलन और डंगे दरकने से छह मकानों को खतरा पैदा हो गया है। मलबे और पेड़ ढहने से छह गाड़ियां भी क्षतिग्रस्त हुई हैं। पेयजल परियोजनाओं में गाद से शहर के लिए पानी की आपूर्ति ठप हो गई है।

शनिवार रात से जारी भारी बारिश के कारण शहर के मैहली में रविवार तड़के सुबह 3:00 बजे हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में भूस्खलन हो गया। इससे दो सरकारी आवासों को खतरा पैदा हो गया है। इनकी नींव पर लगा डंगा पूरी तरह से धंस गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार इन भवनों के निचली ओर एक निजी प्लॉट पर भवन निर्माण का काम चल रहा था। इसकी खोदाई के चलते पहाड़ी के ऊपरी तरफ बने इन आवासों का डंगा बारिश से दरक गया। अब यहां तिरपाल लगा दिए गए हैं। बारिश से भवनों की नींव पर लगा डंगा और दरकने का खतरा है।

भट्ठाकुफर के नेरीधार में भी एक मकान की नींव पर लगा डंगा दरक गया। इससे मकान को खतरा पैदा हो गया है। बीसीएस में भी एक भवन की नींव पर लगा डंगा दरक गया है। पार्षद आशा शर्मा के अनुसार सुबह के समय डंगा दरका है। यदि जल्द इसे ठीक नहीं किया, तो भवन को खतरा हो सकता है। 

पटयोग वार्ड में हाटेश्वरी मंदिर के पास भी पेड़ ढहने से एक मकान के गेट को नुकसान पहुंचा है। यहां दो और पेड़ ढहने वाले हैं। खलीनी में एक प्लॉट पर भूस्खलन हुआ है। यहां भवन निर्माण का काम चल रहा था। पार्षद चमन प्रकाश के अनुसार तिरपाल लगा दिए गए हैं।

राजधानी शिमला में भारी बारिश को देखते हुए खोदाई के कामों पर रोक लगेगी। इस बारे में नगर निगम सोमवार को विस्तृत दिशा निर्देश जारी करेगा। महापौर सुरेंद्र चौहान ने अधिकारियों को इस बारे में निर्देश दे दिए हैं। शहर में रविवार को भी ज्यादातर वार्डों में नुकसान खोदाई के कामों के चलते हुआ है। नगर निगम आमतौर पर बरसात का मौसम शुरू होते ही शहर में खोदाई के कामों पर रोक लगा देता है। इस बार अभी तक इस काम पर रोक नहीं लगी थी। इसके चलते शहर में निर्माणकार्य जारी थे। संजौली के बॉथवेल में खोदाई से निकला मलबा ही दूसरे मकान पर पहुंच गया। मैहली में भी प्लॉट की खोदाई से ही दो भवनों को खतरा पैदा हो गया है। इसे देखते हुए निगम सोमवार को शहर में खोदाई से जुड़े कामों पर रोक लगाने जा रहा है। महापौर सुरेंद्र चौहान ने रविवार को शहर में घूमकर नुकसान का जायजा लिया।

राजधानी में पीने के पानी का संकट गहरा गया है। भारी बारिश के कारण आई गाद से शहर की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना गुम्मा ठप हो गई है। वहीं, गिरि, चूरट और कोटी बरांडी में भी पंपिंग बंद रहने से शहर को कम पानी मिला है। इसके चलते शहर के ज्यादातर जल भंडारण टैंक रविवार सुबह ही खाली हो गए। कई इलाकों में तीसरे दिन भी पानी की आपूर्ति नहीं मिली। इन इलाकों में अब सोमवार चौथे दिन पानी दिया जाएगा। गाद को देखते हुए चौथे दिन भी पानी आएगा या नहीं, इस पर संशय है।

पेयजल कंपनी के अनुसार भारी बारिश के कारण गुम्मा में गाद आ गई है। 22 एमएलडी की क्षमता वाली यह परियोजना रविवार सुबह 8:00 बजे से बंद है। गिरि में भी रविवार को चार की जगह दो ही पंप चले हैं। चूरट परियोजना में भी देर शाम 7:00 बजे तक पंपिंग शुरू नहीं हो पाई। कोटी बरांडी से गाद के कारण शहर के लिए पानी की आपूर्ति आधी रह गई है। उधर, चाबा परियोजना की बूस्टर स्टेज के पंपिंग स्टेशन में पानी भर गया है। सतलुज का जलस्तर बढ़ने के कारण इसके जलमग्न होने का खतरा पैदा हो गया है। हालांकि, इन दिनों इस परियोजना से शहर के लिए पानी नहीं उठाया जा रहा। पेयजल कंपनी का कहना है कि भारी बारिश के कारण परियोजनाओं में गाद आ गई है। गाद की मात्रा 1800 एनटीयू तक पहुंच रही है। इसके चलते पानी की आपूर्ति बंद करनी पड़ी है।

शहर के संजौली जोन के सांगटी, नवबहार, मल्याणा, भट्ठाकुफर, ढींगूधार क्षेत्र में रविवार तीसरे दिन भी पानी नहीं आया। सेंट्रल जोन के कैथू, भराड़ी, कैलस्टन क्षेत्र में भी तीसरे दिन लोगों को पानी नहीं मिला है। छोटा शिमला जोन में सुबह के समय पानी की आपूर्ति दी गई, लेकिन चंद मिनट बाद टैंक खाली हो गए। खलीनी में कुछ भवनों में ही पानी पहुंचा। इसके बाद आपूर्ति ठप हो गई। इस जोन के कनलोग, निगम विहार, लोअर खलीनी, झंझीड़ी आदि इलाकों में तीसरे दिन भी पानी नहीं आया है। अब सोमवार को चौथे दिन भी लोगों को पानी के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।

मानसून की पहली बारिश ने मंडी जिले के जंजैहली उप-मंडल में भारी तबाही मचाई है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) डिवीजन जंजैहली की 14 प्रमुख सड़कें भूस्खलन और क्रस्ट के कारण क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जिससे यातायात व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। प्रारंभिक आकलन के अनुसार, इन सड़कों के पुनर्स्थापन के लिए करीब 55 लाख रुपये की लागत आएगी।

प्रभावित सड़कों में मंडी-चैल-जंजैहली, लम्बाथाच-शिलबागी-कलहनी, थुनाग-केल्टी-जैंशला, थुनाग-बन्याड-मंदेहलू, शिवा खड्ड-स्पेहनीधार, और जरौल-धन्यार जैसी महत्वपूर्ण सड़कें शामिल हैं। इन सड़कों पर विभिन्न स्थानों पर भूस्खलन और मलबे के कारण आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है। सबसे अधिक नुकसान मंडी-चैल-जंजैहली सड़क (12 लाख रुपये) और लम्बाथाच-शिलबागी-कलहनी सड़क (9 लाख रुपये) को हुआ है।

स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि सड़कों की मरम्मत और पुनर्स्थापन के लिए शीघ्र कदम उठाए जाएं, ताकि क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल हो सके। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों का कहना है कि वे नुकसान का विस्तृत आकलन कर रहे हैं और प्राथमिकता के आधार पर सड़कों को खोलने का कार्य शुरू कर दिया गया है।

मानसून की शुरुआत के साथ ही इस तरह की घटनाएं क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की कमजोरियों को उजागर करती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए सड़कों के निर्माण और रखरखाव में बेहतर तकनीक और योजना की आवश्यकता है।

पीडब्ल्यूडी डिवीजन जंजैहली के एक्सईएन रोशन लाल ने बताया कि पीडब्ल्यूडी ने त्वरित कार्रवाई शुरू करते हुए एक सरकारी और एक निजी जेसीबी मशीन तैनात की है, ताकि सड़कों से मलबा हटाकर यातायात बहाल किया जा सके। विभाग के अनुसार, बारिश के कारण हुए भूस्खलन ने कई स्थानों पर सड़कों को अवरुद्ध कर दिया है, जिससे स्थानीय लोगों को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

जिला कांगड़ा में उपमंडल प्रशासन ने ब्यास नदी के तेज बहाव में फंसी तीन महिलाओं को सुरक्षित रेस्क्यू किया है। महिलाएं तीन दिन पहले छोड़ी अपनी भैसों को लेने के लिए ब्यास नदी में बने टापू पर गई थीं, लेकिन अचानक नदी का बहाव बढ़ने से महिलाएं बीच नदी में फंस गईं, जिन्हें उपमंडल प्रशासन ने कड़ी मशक्कत के बाद सुरक्षित बाहर निकाला।

जानकारी के अनुसार लंबागांव पंचायत के दसलूं गांव की सुरेखा देवी, अनु देवी व कमलेश देवी ने दो दिन पहले अपनी भैंसों को रोजाना की तरह चरने के लिए ब्यास नदी में छोड़ा था, लेकिन तीन दिन से भैंसें वापिस घर नहीं आईं। सोमवार सुबह 10 बजे के करीब जब ये तीनों महिलाएं अपनी भैंसों को ब्यास नदीं में ढूंढ रही थी तो उस वक्त ब्यास नदी में एक तरफ ही पानी था। लेकिन थोड़ी ही देर में ब्यास नदी का जलस्तर बढ गया व दूसरी तरफ भी पानी का तेज बहाव आ गया। इस बहाव में ये तीनों महिलाएं बीच टापू में फंस गईं।

गांव के ही किसी व्यक्ति द्वारा इनको पानी के बीच बने टापू में फंसे हुए देखकर स्थानीय हल्का पटवारी अश्वनी चाडक को सूचना दी। हल्का पटवारी को सूचना मिलते ही उपमंलाधिकारी जयसिंहपुर को सूचना दी गई। उपमंडलाधिकारी जयसिंहपुर को सूचना मिलते ही वह अपनी टीम के साथ हल्का राजस्व अधिकारियों अश्वनी, संजीव व मनोज को साथ लेकर मौके पर पहुंच गए। तीन घंटे चले रेस्क्यू आरेशन के बाद एक बजे के करीब तीनों महिलाओं को नाव के माध्यम से सुरक्षित निकाल लिया गया।

मौके पर स्थानीय पंचायत प्रधान हरिदास भी मौजूद रहे। इस संबंध में उपमंडलाधिकारी जयसिंहपुर संजीव ठाकुर ने कहा कि लोगों को बार-बार ब्यास नदी के किनारे न जाने की चेतावनी दी जा रही। लेकिन लोग फिर भी नहीं मान रहे हैं। उन्होंने सख्त लहजे में कहा है कि चेतावनी के बावजूद अगर अब लोग नहीं माने तो ऐसे लोगों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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