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हिमाचल; ई-पासपोर्ट सेवा देने में शिमला केंद्र देशभर में पहले स्थान पर, दिल्ली में मिला सम्मान

ई-पासपोर्ट सेवा जारी करने के मामले में शिमला केंद्र ने देशभर में बाजी मारी है। शिमला केंद्र ने ई-पासपोर्ट प्रणाली को लागू करते हुए देश के 12 विभिन्न पासपोर्ट केंद्रों को पछाड़ते हुए यह उपलब्धि हासिल की है। पढ़ें पूरी खबर…
 

ई-पासपोर्ट सेवा जारी करने के मामले में शिमला केंद्र देशभर में सबसे अव्वल रहा है। केंद्र सरकार ने बीते वर्ष उन्नत पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम के तहत शिमला सहित कुछ चुनिंदा शहरों में ई-पासपोर्ट का पायलट चरण शुरू किया गया था। इसमें शिमला केंद्र ने ई-पासपोर्ट प्रणाली को लागू करते हुए देश के 12 विभिन्न पासपोर्ट केंद्रों को पछाड़ते हुए यह उपलब्धि हासिल की है। केंद्र सरकार का लक्ष्य 2025 के मध्य तक देश के सभी पासपोर्ट सेवा केंद्रों में ई-पासपोर्ट प्रणाली को लागू करना है।

विदेश मंत्रालय ने अप्रैल 2024 में उन्नत पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम 2.0 के तहत ई-पासपोर्ट की शुरुआत पायलट चरण के रूप में चुनिंदा शहरों में की गई थी। इसमें नागपुर, भुवनेश्वर, जम्मू, गोवा, रायपुर, अमृतसर, शिमला, जयपुर, चेन्नई, हैदराबाद, सूरत और रांची शामिल थे। शिमला केंद्र ने इस पायलट चरण में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।

इसके परिणामस्वरूप इसे देश भर में ई-पासपोर्ट जारी करने में अग्रणी बनाया है। क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी वरुण कुमार शर्मा ने बताया कि 13वें पासपोर्ट सेवा दिवस वर्ष 2024-25 के लिए, नागरिकों को उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करने के लिए क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, शिमला को पासपोर्ट सेवा पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। उन्होंने इस उपलब्धि पर शिमला के सभी कर्मचारियों को बधाई दी। उल्लेखनीय है कि विदेश मंत्रालय के दिशा-निर्देशों एवं एस. कोवेंदन, निदेशक, (पीएसपी/पीएमयु) की अध्यक्षता में पीएसपी संस्करण 2 का संचालन शिमला केंद्र में शुरू किया गया। इसके तहत हिमाचल में नागरिकों को ई-पासपोर्ट सेवाएं दी जा रही हैं।

ई-पासपोर्ट एक आधुनिक पासपोर्ट है। इसमें आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) तकनीक वाली एक चिप लगी होती है, जो पासपोर्ट कवर के अंदर होती है। दिखने में सामान्य पासपोर्ट जैसा ही होता है, लेकिन इसमें कई तकनीकी खूबियां शामिल की गई हैं। इस चिप में आवेदक की पूरी व्यक्तिगत जानकारी और बायोमेट्रिक डिटेल्स सुरक्षित रहती हैं। यह सुरक्षा और सुविधा को बढ़ाता है।दिया क्योंकि जस्टिस बोस 10 अप्रैल को सेवानिवृत हो गए हैं।

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