सेब की पत्तियां पर तांबई रंग के धब्बों से बागवान परेशान, प्रचलित फफूंदनाशक भी नहीं कर रहे काम

मौसम के सर्द-गर्म होने की मार सेब बागवानी पर पड़ने लगी है। सेब की पत्तियों पर तांबई रंग के धब्बों के पड़ने से बागवान परेशान हो गए हैं। प्रचलित फफूंदनाशक भी इस रोग पर काम नहीं कर रहे हैं। इस तरह का रोग शिमला जिला के ठियोग, कोटखाई, रोहड़ू आदि के कई क्षेत्रों में देखा गया है।
वहीं, कोटखाई के गांव बखोल के बागवान संजीव चौहान ने कहा कि यह रोग न तो अल्टरनेरिया लग रहा है और न ही न ही मार्सोनिना ब्लॉच है। पिछले वर्ष उऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी इस तरह की बीमारी आई थी। अधिकारियों को फील्ड में जांच इसकी जांच करनी चाहिए। उसके बाद ही इस पर छिड़काव की संस्तुति की जानी चाहिए। रोहड़ू के शीलघाट गांव के निवासी मशहूर बागवान हरीश चौहान ने बताया कि यह समस्या लो हाइट में है। हाटकोटी, पड़सारी आदि में इसे पाया गया है। यह अल्टरनेरिया लग रहा है। दो साल पहले भी निचले क्षेत्रों में इसने नुकसान किया था। बागवानी विशेषज्ञ इसके बारे में फील्ड में जाएं। इसे समय रहते नियंत्रित करने की जरूरत है। जिला शिमला की तहसील ठियोग की ग्राम पंचायत क्यार के गांव धानो के निवासी अनुराग शर्मा ने बताया कि अधिकारियों को फील्ड में जाकर इसकी जांच करनी चाहिए।
पैनिक में न आएं बागवान, कोई सामान्य फंगस ही लग रहा
हालांकि, डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के पूर्व कुलपति डॉ. विजय सिंह ठाकुर ने कहा कि यह फंगस न तो अल्टरनेरिया है और न ही मार्सोनिना ब्लॉच है। अल्टरनेरिया के धब्बे गोल और मार्सोनिना ब्लॉच के जिग-जैग है। यह कोई सामान्य फंगस ही लग रहा है जो कई बार उड़कर भी आ जाता है। बागवानों को इस संबंध में पैनिक होने की जरूरत नहीं है।
उद्यान विभाग के निदेशक विनय सिंह बोले, अधिकारियों को फील्ड में भेजेंगे
वहीं, राज्य उद्यान विभाग के निदेशक विनय सिंह ने कहा कि अधिकारियों को फील्ड में भेजा जाएगा। फील्ड से रिपोर्ट आने के बाद ही इस संबंध में स्थिति स्पष्ट की जा सकेगी कि यह किसी तरह की नई बीमारी या प्रचलित रोग हैं। उसके बाद ही उचित दवा के छिड़काव की सलाह दी जाएगी।