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शिमला बाईपास पर रंघाव-भाड सुरंग के दोनों छोर मिले, आधा घंटा कम होगा सफर

Shimla News: Both ends of Ranghav-Bhad tunnel met on Shimla bypass, journey will be reduced by half an hour

 कालका-शिमला फोरलेन के कैथलीघाट-ढली हिस्से के पैकेज-वन के तहत शिमला बाईपास में रंघाव-भाड सुरंग के दोनों छोर मिल गए हैं। 1,295 मीटर लंबी इस टनल के निर्माण पर करीब 170 करोड़ रुपये खर्चा आया है। पैकेज वन के तहत कैथलीघाट से शकराल तक फोरलेन बनने से लोग महज 25 मिनट में यह दूरी तय कर पाएंगे। अभी इसमें एक घंटे का समय लग जाता है। अक्तूबर-नवंबर 2023 में फोरलेन शिमला बाईपास पर रंघाव-भाड टनल का निर्माण कार्य शुरू किया था। टनल के दोनों छोर शनिवार को मिल गए।

इससे पहले पैकेज वन के तहत 705 मीटरी लंबी टनल के दोनों छोर मिल चुके हैं। परियोजना का कार्य दो चरणों में चल रहा है। पहले चरण में कैथलीघाट से शकराल तक 17.5 किलोमीटर लंबा फोरलेन बनाया जा रहा है। इस टनल के बनने से निर्माण कार्य में तेजी आएगी, जिससे समय पर फोरलेन परियोजना का काम पूरा करने में मदद मिलेगी। अभी तक शिमला बाईपास में सुरंग के छोर न मिलने से निर्माण कार्य में लगे वाहनों को अतिरिक्त सफर तय करना पड़ रहा था लेकिन अब निर्माण कार्य में लगे वाहन टनल के माध्यम से आवाजाही कर सकेंगे। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के मुताबिक पहले चरण का कार्य अप्रैल 2026 में पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

फोरलेन बनने से ट्रैफिक जाम से मिलेगी निजात
कैथलीघाट-ढली हिस्से का काम पूरा होेने से कैथलीघाट से ढली तक पहुंचने के लिए लोगों को राजधानी शिमला के ट्रैफिक से होकर गुजरने से निजात मिलेगी। इससे एक से डेढ़ घंटे में तय होने वाले सफर को 30 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। इससे जहां लोगों के समय की बचत होगी वहीं ईंधन की खपत कम होगी। कैथलीघाट-सकराल चार लेनिंग प्रोजेक्ट की लागत 1,844 करोड़ रुपये है। 1,844 करोड़ रुपये की लागत से इस चरण में 20 पुल, 4 सुरंगें, एक अंडरपास और एक टोल प्लाजा का निर्माण हो रहा है। दूसरे चरण में शकराल से ढली-मशोबरा जंक्शन तक 11 किलोमीटर हिस्से पर 2,070 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसमें 6 सुरंगें और सात पुल और फ्लाईओवर बनेगा।

फोरलेन के कैथलीघाट-ढली हिस्से के कैथलीघाट-शकराल पैकेज वन के तहत रंघाव-भाड गांव सुरंग के दोनों छोर मिल गए हैं। अब निर्माण कार्य में लगे वाहनों को साइट तक पहुंचने में अतिरिक्त सफर तय नहीं करना पड़ेगा। इससे निर्माण कार्य में तेजी भी आएगी।

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