विमल नेगी माै#त मामला: दो माह बाद भी पुलिस खाली हाथ, तीन दिन कहां रहे विमल नेगी, रहस्य बरकरार


हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत के मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) और बिलासपुर पुलिस की जांच को लेकर परिजन शुरू से ही सवाल उठा रहे थे। दो महीने की जांच के बाद भी पुलिस के हाथ अभी तक खाली हैं। मृतक विमल नेगी से पेन ड्राइव मिलने के बावजूद उसे छिपाया गया। एसआईटी इसकी जानकारी होने पर भी आरोपी एएसआई के खिलाफ कार्रवाई करने में लीपापोती करती रही। न्यू शिमला पुलिस थाने में 19 मार्च को कॉरपोरेशन के निदेशक देसराज, एमडी हरिकेश मीणा और निदेशक शिवम प्रताप सिंह के खिलाफ नेगी को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया।
इसके बावजूद पुलिस उन्हें कई दिनों तक तलाश नहीं कर पाई। परिजनों के मुताबिक उन्होंने देसराज की लोकेशन के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां पुलिस के साथ साझा कीं। फिर भी उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। विमल नेगी के भाई सुरेंद्र नेगी ने बताया कि उन्होंने पुलिस को देसराज के टुटू में होने की सूचना दी थी। इसके बावजूद शिमला पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसी बीच देसराज को सुप्रीम कोर्ट से 4 अप्रैल को अग्रिम जमानत मिल गई। परिजनों का संदेह तब और गहराया, जब उन्हें पता चला कि देसराज की जमानत याचिका का पुलिस की तरफ से विरोध ही नहीं किया गया। उन्होंने इस पर सवाल भी उठाए।
सुरेंद्र नेगी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में पहले 7 अप्रैल को जमानत याचिका को लेकर सुनवाई होनी तय हुई थी, लेकिन अचानक 4 अप्रैल को इसको लेकर फैसला हो गया। इसी दिन जब उन्हें इस बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने अपने वकील को कोर्ट भेजा, लेकिन तब तक फैसला आ चुका था। सुरेंद्र नेगी ने कहा कि पहली बार किसी मामले में पीड़ित की संपत्ति की जांच पुलिस कर रही थी। इस बारे में बैंक अधिकारियों से उन्हें जानकारी मिली थी। परिजनों में इस बात को लेकर भी रोष था कि पुलिस ने जांच के बारे में उनसे किसी भी प्रकार की प्रगति को लेकर जानकारी साझा नहीं की। इससे भी परिजनों का विश्वास पुलिस की जांच पर कम हुआ।
परिजनों को घटनास्थल पर जाने से रोका, कहा-दलदल भरा है रास्ता
विमल का शव जिला बिलासपुर में गोबिंदसागर झील में तलाई थाना के अंतर्गत बरामद किया गया। परिजनों का आरोप है कि इस दौरान उन्हें यह कहकर घटनास्थल पर जाने से रोका गया कि रास्ता लंबा और दलदल भरा है। इसके कुछ दिन बाद परिजन जब उक्त स्थान पर पहुंचे तो वह पुलिस टीम द्वारा बताई दूरी से काफी नजदीक था। सुरेंद्र नेगी ने बताया कि विमल नेगी के शव के लिए गए फोटोग्राफ में उनका मोबाइल उनकी जेब में होना प्रतीत हो रहा था, लेकिन उसके बारे में आज तक उन्हें उचित जानकारी नहीं दी गई। हाईकोर्ट में भी उन्हें पहले मोबाइल मिलने और बाद में नहीं मिलने की बात बताई गई। आरोप लगाया कि पेन ड्राइव की तरह ही उनका मोबाइल भी छिपाया गया है।
चंडीगढ़ से मिलने वाले लोगों का भी नहीं चल सका पता
पुलिस की जांच में विमल नेगी के चंडीगढ़ से आने वाले लोगों का इंतजार करने की बात भी सामने आई थी, लेकिन ये कौन लोग थे, इस पर भी जांच में कोई खुलासा नहीं किया गया। बिलासपुर में मंडी-भराड़ी पुल पर स्थित बस स्टॉपेज के इंचार्ज ने पूछताछ में बताया था कि विमल नेगी ने चंडीगढ़ से लोगों के आने की बात कही थी। इस दौरान उन्होंने घुमारवीं और शिमला की ओर जाने वाली बसों की समयसारिणी के बारे में भी उनसे पूछताछ की थी।
पुलिस महानिदेशक ने छिपाए साक्ष्य, न्यायालय में गुमराह करने वाला हल्फनामा दायर किया : गांधी
हमने जो भी जांच की है, उसकी उचित रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश की है। बहुत ही आश्चर्यजनक रूप से पुलिस महानिदेशक ने कोर्ट से कई महत्वपूर्ण तथ्य छिपाएं हैं, जिनकी गहनता से जांच होनी चाहिए। पैन ड्राइव तो शिमला पुलिस की एसआईटी ने ढूंढा था। हिमाचल प्रदेश पुलिस महानिदेशक ने साजिश के तहत माननीय उच्च न्यायालय में गुमराह करने वाला हल्फनामा दायर किया। जांच के दौरान भी उन्होंने जांच को प्रभावित करने की कोशिश की है। -संजीव कुमार गांधी, एसएसपी शिमला
धोखे से ले जाकर की गई हत्या : सुरेंद्र नेगी
विमल नेगी के भाई सुरेंद्र नेगी ने कहा कि प्रदेश उच्च न्यायालय ने जो निर्णय दिया आरोप लिए आभार है, हम उसके प्रकट करते हैं। जिन अधिकारियों ने केस को दबाने की कोशिश की है, उसके खिलाफ दोबारा प्रदर्शन किया जाएगा। जांच में तथ्यों को छुपाने की कोशिश की गई है। हमें विश्वास था कि कोर्ट से न्याय मिलेगा। कहा कि विमल नेगी को धोखे से ले जाकर उनकी हत्या की गई।