छात्रवृत्ति घोटाले में गिरफ्तार बंसल की याचिका खारिज, गिरफ्तारी को बताया था अवैध

हिमाचल हाईकोर्ट ने छात्रवृत्ति घोटाले में गिरफ्तार हिमालयन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट कालाअंब के एमडी के भाई विकास बंसल की याचिका खारिज कर दी है। बंसल ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम के तहत अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताने के साथ ही रिमांड को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने ईडी की ओर से अपनी गिरफ्तारी को अवैध और दुर्भावनापूर्ण बताते हुए इसे रद्द करने की मांग अदालत से की थी। साथ ही न्यायिक मजिस्ट्रेट की ओर से पारित रिमांड आदेश को भी चुनौती दी थी।
न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने फैसले में कहा कि ईडी की ओर से जो गिरफ्तारी की गई है, वह मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की गई है। अदालत ने पाया कि अधिकारी के पास आरोपी को गिरफ्तार करने के कारण थे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अवकाश पर होने के कारण विशेष न्यायालय की अनुपस्थिति में न्यायिक मजिस्ट्रेट की ओर से रिमांड आदेश पारित करना कानूनन सही था।
ईडी ने दावा किया कि आगे की जांच और सबूतों के साथ छेड़छाड़ रोकने के लिए याचिकाकर्ता से हिरासत में पूछताछ आवश्यक थी। बंसल ने एचजीपीआई के माध्यम से 1729 झूठे और जाली दावे प्रस्तुत कर 14.49 करोड़ रुपये की अपराध आय अर्जित की थी। इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा विभाग को 636 झूठे और जाली दावे प्रस्तुत कर 3.80 करोड़ की अपराध आय हासिल की। ये दावे उन छात्रों के संबंध में थे, जो एचजीपीआई और एजीपीआई के लिए संबंधित विवि और बोर्ड में आधिकारिक तौर पर पंजीकृत नहीं थे। मां सरस्वती एजुकेशनल ट्रस्ट के माध्यम से बंसल ने कालाअंब में दो अलग-अलग अचल संपत्तियां खरीदीं। इनमें से एक 59.09 बीघा भूमि, जिसकी लागत 59.45 लाख और दूसरी 13.06 बीघा भूमि 90 लाख में खरीदी थी। संपत्तियों को खरीदने के लिए छात्रों से एकत्र फीस, बैंक ऋण और पीएमएस योजना के तहत छात्रवृत्ति के जाली दावों से प्राप्त धन का उपयोग किया गया था।