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क्षेत्रीय अस्पताल में डेढ़ घंटे गुल रही बिजली, टॉर्च के सहारे मरीजों का इलाज

क्षेत्रीय अस्पताल में बिजली सप्लाई में फॉल्ट आने से डेढ़ घंटे तक अंधेरा पसरा रहा। हालात यह हो गए कि ओपीडी में चिकित्सकों ने मोबाइल टॉर्च के सहारे मरीजों को उपचार दिया। अस्पताल की मुख्य मंजिल में लाइट न होने से एक्सरे तक नहीं हो सके। वहीं, मरीजों की पर्चियां हाथ से बनाई गईं। सरकारी टेस्ट लैब में मशीनें बंद हो गई। इससे टेस्ट के कार्य में भी बाधा आई।
अस्पताल प्रशासन ने जनरेटर का सहारा तो लिया, लेकिन पांच मिनट चलने के बाद जनरेटर भी बंद हो रहा था। एक घंटा तक मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस दौरान अस्पताल में मरीजों को एक्सरे समेत अन्य टेस्ट की सुविधा नहीं मिली। इस कारण मरीजों को निजी लैब का रुख करना पड़ा। अस्पताल में सुबह 11:30 बजे बिजली गुल हो गई। पहले तो कर्मचारियों ने बिजली कट समझा। जब आसपास पता किया तो अन्य बिल्डिंग में लाइट होने के बारे में पता चला। इसके बाद तकनीकी कर्मचारी को बुलाया और जांच करवाई तो पाया कि विद्युत लाइन शाॅर्ट हो गई है। इससे अस्पताल मुख्य मंजिल में बिजली गुल है। इसके बाद ठीक करने का कार्य शुरू किया गया। करीब एक घंटा लग गया और करीब 1:00 बजे बिजली सप्लाई को सुचारु किया। एक घंटे तक गर्मी में मरीज असुविधा का सामना करते दिखे।
मरीजों ने कहा कि अस्पताल में बेहतर सुविधाओं का दावा किया जाता है, लेकिन यह दावे सिर्फ बातों तक ही सीमित रह गए हैं। अस्पताल में आने पर पहले तो लाइनों में लगना पड़ता है। जब तक ओपीडी में पहुंचते हैं तो कोई अन्य दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बुधवार को बिजली गुल होने से परेशान हुए। बिजली जाने के बाद जब मरीजों ने जनरेटर से बिजली सुचारु करने के लिए कहा तो कर्मचारियों ने कोई जवाब नहीं दिया। ऐसा पहली बार नहीं बल्कि आएदिन होता है। मरीजों को सही जवाब कर्मचारी नहीं देते हैं। बड़े अस्पताल में सिर्फ आपात कक्ष को सुचारु रखने के लिए जनरेटर है। बल्कि अन्य ओपीडी में कोई व्यवस्था नहीं है।

इनसेट
फॉल्ट आने से लाइट बंद हुई थी। ओपीडी को जनरेटर के साथ जोड़ा गया है। जनरेटर से ओपीडी को सुचारु रूप से चलाया गया।
-डॉ. राकेश पवार, चिकित्सा अधीक्षक, क्षेत्रीय अस्पताल, सोलन

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