#हिमाचल प्रदेश

कंपनियां जितने प्लास्टिक में सामान बेचेंगी, उतना ही करना होगा नष्ट, प्रदूषण बोर्ड ने की सख्ती

The more plastic the companies sell, the more plastic they will have to destroy, Pollution Control Board has t

हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य को प्लास्टिक मुक्त बनाने की दिशा में एक और सख्त कदम उठाया है। अब राज्य में जितनी मात्रा में कंपनियां प्लास्टिक पैकेजिंग में उत्पाद बेचेंगी, उतनी ही मात्रा में उन्हें उस प्लास्टिक को वैज्ञानिक तरीके से नष्ट भी करना होगा। यह नीति एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पांसिबिलिटी (ईपीआर) के तहत लागू की गई है, जिसमें उत्पादकों को उनके उत्पादों के कारण उत्पन्न प्लास्टिक कचरे की जिम्मेदारी स्वयं उठानी होगी। हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस नीति को सख्ती से लागू करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है। अभी तक 800 से अधिक कंपनियों को नोटिस जारी किए गए हैं, जो राज्य में व्यवसाय तो कर रही हैं, लेकिन ईपीआर पोर्टल पर पंजीकृत नहीं हैं। यदि ये कंपनियां तय समय सीमा में पंजीकरण नहीं करातीं और कचरे के निपटान की जिम्मेदारी नहीं निभातीं तो उनके खिलाफ 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।  इस नीति के तहत प्लास्टिक कचरे के निपटान के लिए सरकार ने अंबुजा और अल्ट्राटेक सीमेंट जैसी कंपनियों से करार किया है। इनके सीमेंट प्लांट में गैर-रिसायक्लेबल प्लास्टिक को को-प्रोसेसिंग तकनीक के माध्यम से नष्ट किया जाएगा। यह एक पर्यावरण-सम्मत प्रक्रिया है जिसमें प्लास्टिक को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और इससे लैंडफिल का दबाव भी कम होता है।

सरकार ने स्थानीय निकायों और पंचायतों को भी इस प्रक्रिया में शामिल करने का निर्णय लिया है। वर्तमान में शहरी निकाय और पंचायतें ही प्लास्टिक कचरे का संग्रह करती हैं, लेकिन उन्हें इसके बदले कोई विशेष आर्थिक लाभ नहीं मिलता। अब नई नीति के तहत कंपनियां इन निकायों से समझौता करेंगी और प्लास्टिक वेस्ट संग्रहण के बदले उन्हें भुगतान करेंगी। इससे स्थानीय निकायों को वित्तीय सहायता मिलेगी और वे कचरे को और अधिक प्रभावी ढंग से संभाल पाएंगी। राज्य सरकार ने इसके लिए सभी पंचायतों को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट बायलॉज अपनाने के निर्देश दिए हैं। इन्हें छह महीने के भीतर लागू करना अनिवार्य किया गया है। इन नियमों में स्रोत पर कचरा पृथक्करण, नियमित संग्रहण और अनुशासनहीनता पर जुर्माना जैसे प्रावधान शामिल हैं

प्लास्टिक प्रदूषण में कमी आएगी
प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाई है। अदालत ने सभी उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों को आदेश दिया है कि अपने उत्पादों से उत्पन्न प्लास्टिक कचरे का पूरा विवरण राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रस्तुत करें और स्थानीय निकायों के साथ मिलकर कचरे के संग्रहण और निपटान की योजना बनाएं। प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव अनिल जोशी ने बताया कि यह नीति हिमाचल प्रदेश को पर्यावरणीय रूप से अधिक जिम्मेदार राज्य बनाने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है। इससे न केवल प्लास्टिक प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि स्वच्छता और स्वास्थ्य में भी सुधार होगा।

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