#हिमाचल प्रदेश

आग बुझाने की चल रही थी मॉक ड्रिल और जल गया जंगल, सैकड़ों पौधे जलकर राख; जांच की मांग

Himachal Bilaspur Mock drill was going on to extinguish fire and forest burned

वन विभाग की मॉक ड्रिल उस समय सवालों के घेरे में आ गई, जब घुमारवीं वन परिक्षेत्र के अंतर्गत भींगू जंगल में आग पर काबू पाने का अभ्यास करते-करते असल में आग फैल गई और आग ने दो बीघा क्षेत्रफल में फैले जंगल को अपनी चपेट में ले लिया। ग्रामीणों के अनुसार इस क्षेत्र में जैव विविधता संरक्षण के अंतर्गत अनार की दाड़ू प्रजाति के करीब 1000 और सागवान के पौधे लगाए गए थे, जिनमें से अधिकांश आग की भेंट चढ़ गए।

जाइका के माध्यम से लगाए गए इन पौधों की देखरेख गांव के वन प्रेमी कर रहे थे। जाइका की कमेटी के पूर्व प्रधान राजेश शर्मा, जोगिंद्र सिंह, सीताराम, रमेश चंद्र व मनोज कुमार सहित अन्य ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि विभाग की लापरवाही से यह नुकसान हुआ है। इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। ग्रामीणों ने बताया कि मॉक ड्रिल में वन विभाग के साथ एनडीआरएफ, जल शक्ति विभाग, अग्निशमन विभाग व अन्य विभागों की टीमों ने हिस्सा लिया था। इस दौरान नवनियुक्त वन मित्रों को जंगल में आग बुझाने की तकनीक सिखाई जा रही थी। विभाग के अधिकारियों ने मॉक ड्रिल के लिए आग तो लगाई, लेकिन इसी दौरान आग फैल गई और देखते ही देखते दो बीघा क्षेत्र में हरियाली राख हो गई। 

अधिकारियों का दावा, नियमानुसार की गई मॉक ड्रिल
वन परिक्षेत्र अधिकारी हंसराज और वन खंड अधिकारी देशराज ने दावा किया कि मॉक ड्रिल के लिए एक बीघा क्षेत्र निर्धारित किया गया था, जहां कोई भी पेड़ नहीं था। अधिकारियों का दावा है कि मॉक ड्रिल नियमानुसार की गई।

ग्रामीणों ने कसा तंज-नतीजा कुछ नहीं निकलता
ग्रामीणों ने सरकारी तंत्र पर तंज कसते हुए कहा कि हर वर्ष जंगलों में आग लगती है। हर बार सिर्फ मॉक ड्रिल करवाकर लाखों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर नतीजा कुछ नहीं निकलता। अब ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार से इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

पामारोजा घास भी जलकर राख, लाखों हुए थे खर्च
लोगों का कहना है कि वन विभाग ने भींगू जंगल में जिस जगह मॉक ड्रिल की, वहां पर चार साल पहले जाइका परियोजना के तहत पामारोजा घास लगाई थी। इसकी देखरेख के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया था। पिछले चार साल में इस पर करीब 25 लाख रुपये का खर्च किया जा चुका है। इससे सेंट बनाया जाता है। इस घास से लाखों की आमदनी होनी थी। लेकिन इसी घास पर मॉक ड्रिल की गई और यह घास पूरी तरह जल गई।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *