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अमरनाथ यात्रा से पहले बसंतगढ़ में मुठभेड़,जैश का एक आतंकी ढेर

श्री अमरनाथ यात्रा शुरू होने से पहले उधमपुर के बसंतगढ़ में सुरक्षाबलों वीरवार को मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकी को ढेर कर दिया। वहीं, बचे तीन आतंकियों की घेराबंदी कर रखी है। इनके सफाए के लिए सेना और पुलिस ने ऑपरेशन बिहाली शुरू किया है। बताया जा रहा है कि जैश-ए-मोहम्मद के ये आतंकी पिछले एक वर्ष से सक्रिय रहे हैं।

आईजी जम्मू भीमसेन टूटी ने बताया कि वीरवार सुबह पुख्ता सूचना के आधार पर सुबह करीब 8:30 बजे सुरक्षाबलों और पुलिस ने बसंतगढ़ के बिहाली इलाके के जंगलों में संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया। सामना होते ही आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। सेना की व्हाइट नाइट कोर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बताया कि जवाबी कार्रवाई में एक आतंकी मारा गया।

आईजी भीमसेन टूटी के मुताबिक आतंकी एक नाले के नजदीक छिपे हुए हैं। वे भाग न सकें, इसलिए घेराबंदी मजबूत की गई है। आतंकियों को ढेर करने के लिए सेना ने पैरा कमांडो भी उतार दिए हैं। लगातार बारिश और धुंध के बावजूद ऑपरेशन बिहाली जारी है।
पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकियों को पनाह देने वाले मददगार तो गिरफ्तार कर लिए गए हैं, लेकिन दहशतगर्द अब भी पकड़ से बाहर हैं। इतना भी स्पष्ट हो गया है कि हमला करने वाले तीन आतंकी थे। तीनों लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तानी नागरिक हैं।

इन आतंकियों को लेकर जांच एजेंसियां दो थ्योरी पर काम कर रही हैं। पहली यह कि आतंकी सफलतापूर्वक पाकिस्तान भाग गए होंगे। ये आतंकी 22 मई को किश्तवाड़ में हुई मुठभेड़ में भी घेरे गए थे, लेकिन बच निकले। दूसरी यह कि अगर तीनों कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल इलाके में छिपे हैं तो वे किसी भी इलेक्ट्रॉनिक संचार का उपयोग नहीं कर रहे। त्राल आतंकियों का गढ़ है। यहां आतंकियों को स्थानीय स्तर पर काफी मदद मिलती है। पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हमला करने की साजिश को अंजाम देने वाले भी इसी क्षेत्र में रहते थे। इसे लेकर पुलवामा के चप्पे-चप्पे को लगातार खंगाला जा रहा है। पूर्व से लेकर अब तक इस क्षेत्र में सक्रिय रहे आतंकियों और उनके परिवारों पर नजर रखी जा रही है।


दो माह से एनआईए व अन्य एजेंसियां लगातार तलाश में जुटी हैं। दो लोगों का पकड़ा जाना उसी प्रयास का हिस्सा है। बायसरन में वारदात को अंजाम देने वाले आतंकी कमांडो जैसी ट्रेनिंग लेकर आए थे। उन्हें घुसपैठ करने और वारदात को अंजाम देकर बच निकलने की विशेष ट्रेनिंग मिली थी। फिलहाल वे इन इलाकों से बाहर जा चुके हैं। अभी भी आतंकियों के लिए रेकी करने वाले मददगार स्थानीय लोगों के बीच रिश्तेदार बनकर रह रहे हैं। – विजय सागर धीमान, ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त)

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