अंतरिक्ष से शुभांशु शुक्ला का ‘नमस्कार’, कहा- ऐसा लग रहा जैसे बच्चे की तरह चलना सीख रहा हूं

कई अड़चनों के बाद एलन मस्क के स्पेसएक्स प्रक्षेपण यान ने फाल्कन-9 रॉकेट के ऊपर क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान के साथ फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से मंगलवार दोपहर 12:01 बजे (आईएसटी) उड़ान भरी थी। इस उड़ान में मिशन पायलट शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायु सेना (आईएएफ) में ग्रुप कैप्टन, पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री कमांडर पैगी व्हिटसन और हंगरी के मिशन विशेषज्ञ टिबोर कापू और पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्निएव्स्की सवार थे।
अंतरिक्ष से अपने पहले कॉल में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने बुधवार के प्रक्षेपण के अनुभव को याद किया। उस पल को ताजा करते हुए इस अनुभव को अवर्णनीय बताया। अंतरिक्ष से ‘नमस्कार’ के साथ अभिवादन करते हुए शुभांशु शुक्ला ने कहा कि उन्हें शून्य गुरुत्वाकर्षण की आदत हो रही है। उन्होंने कहा, ‘मैं अभी भी शून्य गुरुत्वाकर्षण की आदत डाल रहा हूं, जैसे कोई बच्चा चलना सीख रहा हो, यह पता लगा रहा हो कि कैसे आगे बढ़ना है और खुद को संभालना कैसे है। मैं वास्तव में हर पल का आनंद ले रहा हूं। शुभांशु शुक्ला ने पृथ्वी की कक्षा में अपने अनुभव को अवास्तविक और मजेदार बताया।
लाइव कॉल में शुभांशु शुक्ला ने यह भी कहा कि यह मिशन भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम और आगामी गगनयान मिशन के लिए एक मजबूत कदम है। भारतीय तिरंगा देखकर मुझे याद आया कि आप सभी इस यात्रा में मेरे साथ हैं। यह भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम और आगामी गगनयान मिशन के लिए एक मजबूत कदम है। मैं चाहता हूं कि आप में से हर कोई इस मिशन का हिस्सा महसूस करे। यह केवल तकनीकी महत्वाकांक्षा के बारे में नहीं है। यह पूरी यात्रा के पीछे की भावना और उद्देश्य के बारे में है। अगले 14 दिनों में मेरा लक्ष्य प्रमुख कार्यों को पूरा करना और अपने अनुभवों को कैद करना है, ताकि मैं उन्हें आप सभी के साथ साझा कर सकूं।
शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष यान से दृश्य भी साझा किए, जो वर्तमान में पृथ्वी से 418 किमी ऊपर है। उन्होंने इस नजारे को सुंदर करार दिया। इससे पहले शुभांशु शुक्ला बुधवार को ऐतिहासिक यात्रा पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हुए, जो 41 साल के अंतराल के बाद भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान में वापसी का प्रतीक है। यह यात्रा अमेरिका में चार सदस्यीय बहु-देशीय चालक दल के साथ एक्सिओम स्पेस मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद हुई।