अभ्यर्थियों से संपर्क करने के लिए वर्चुअल नंबरों का किया इस्तेमाल

नवोदय विद्यालय समिति के गैर-शिक्षण पदों के लिए आयोजित भर्ती परीक्षा में नकल करवाने वाले गिरोह ने अभ्यर्थियों से संपर्क करने के लिए वर्चुअल नंबरों का इस्तेमाल किया था। पुलिस पूछताछ में अभ्यर्थियों की ओर से हैंडलरों के दिए मोबाइल नंबरों की जांच में यह खुलासा किया है। वर्चुअल नंबरों का इस्तेमाल अपराधी अपनी पहचान छिपाने के लिए करते हैं, क्योंकि इन नंबरों की पहचान करना मुश्किल होता है। अभी तक की जांच में पुलिस ने तीन हैंडलरों की पहचान की है, जो अभ्यर्थियों के संपर्क में थे। इनकी तलाश के लिए पुलिस टीमें आने वाले दिनों में संभावित स्थानों पर दबिश देंगी। नकल गिरोह के तार हरियाणा, दिल्ली और उत्तरप्रदेश से जुड़ रहे हैं।
आरोपी अभ्यर्थियों ने पूछताछ में खुलासा किया है कि हैंडलर से वह कई महीनों से संपर्क में थे और बाकायदा उन्हें नकल करने के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले इलेक्ट्राॅनिक डिवाइस का इस्तेमाल करने के लिए प्रशिक्षण भी मिला था। पुलिस का मानना है कि गिरोह ने नकल करवाने के हाइटेक तरीके का इस्तेमाल किया है। इससे आशंका है कि वह पहले भी नकल करवाने में जुड़े हो सकते हैं। अभ्यर्थियों ने नकल करवाने के लिए गिरोह को 4 लाख से 16 लाख रुपये देने की बात कही है। 18 मई को शिमला शहर के कई परीक्षा केंद्रों में पुलिस ने 40 अभ्यर्थियों को इलेक्ट्राॅनिक डिवाइस के साथ पकड़ा है। इस मामले में पांच अलग-अलग एफआईआर दर्ज कर की गई हैं। यह परीक्षा देशभर के नवोदय विद्यालयों में स्टेनाेग्राफर, मेस हेल्पर, जेएसए, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स, और अन्य विभिन्न नॉन टीचिंग पदों की भर्ती के लिए आयोजित की गई थी। इसके तहत 1,377 पद भरे जाने हैं।